शाज़ तमकनत

आगे आगे कोई मशअल सी लिए चलता था
हाय क्या नाम था उस शख्स का पूछा ही नहीं

तश्ना आलमी

जो कीड़े रेंगते रहते हैं नालियों के क़रीब
वो मर भी जाएँ तो रेशम नहीं बना सकते

क़ाबिल अजमेरी

जी रहा हूँ इस ऐतिमाद के साथ
ज़िन्दगी को मेरी ज़रूरत है
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