Organize a Hasya Kavi Sammelan

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CHIRAG JAIN LAUGHTER


LAUGH INDIA LAUGH (LIFE OK)



Chirag Jain from New Delhi with his hilarious performance.

Chirag Jain



Stand up Comedy artist Chirag Jain is performing in Laugh India Laugh.

Chirag Jain Laughter


काव्यांचल


प्रिय मित्रों!
मेरी काव्य वाटिका अब पूरे बगीचे का रूप ले चुकी है। अब ब्लॉग की क्यारी में उगी तुलसी वेबसाइट के बगीचे में महक रही है। इस बग़ीचे में आपको विविध क्यारियों की महक और सौंदर्य एक साथ मिलेगा। कृपया ऊपर दिये गए चित्र पर क्लिक करें और हमारे नए घर पधारें-

कवियों का विराट सम्मेलन


प्रिय मित्रों!
मेरी काव्य वाटिका अब पूरे बगीचे का रूप ले चुकी है। अब ब्लॉग की क्यारी में उगी तुलसी वेबसाइट के बगीचे में महक रही है। इस बग़ीचे में आपको विविध क्यारियों की महक और सौंदर्य एक साथ मिलेगा। कृपया ऊपर दिये गए चित्र पर क्लिक करें और हमारे नए घर पधारें-

कवियों की दूरभाष निर्देशिका

नमस्कार जी!

देश भर के कवियों की एक दूरभाष निर्देशिका बनाने का विचार 'राष्ट्रीय कवि संगम' के मन में है। आपसे अनुरोध है कि आप अपना और अपने संपर्क के सभी कवियों के विषय में निम्न जानकारी यथाशीघ्र प्रेषित करें। कोई भी रचनाकार जो कविता लिखता है, वह हमारी निर्देशिका का अंग होगा। भाषा, जाति, प्रदेश अथवा अन्य किसी भी प्रकार का भेद-भाव निर्देशिका के संदर्भ में नहीं किया जाएगा। यदि किसी रचनाकार की संपूर्ण जानकारी आपके पास उपलब्ध नहीं है तो कृपया कवि/कवयित्री का दूरभाष हम तक पहुँचा दें। समय की कमी के चलते कृपया इस सप्ताह में इस कार्य को सम्पन्न करें, हमारा लक्ष्य है कि आगामी 3 जनवरी को इस निर्देशिका का लोकार्पण किया जाए।


आपको जो जानकारी हम तक पहुँचानी है वह निम्नलिखित है-


कवि का नाम-
स्थायी पता-
डाक पता-
दूरभाष (निवास)-
मोबाइल-
जन्मतिथि-
लेखन की भाषा-
ईमेल-
वेबसाइट / ब्लॉग-


उपरोक्त जानकारी आप हमें निम्न सूत्रों पर प्रेशित कर सकते हैं-

डाक द्वारा- चिराग़ जैन, एच-24, पॉकेट ए, आई एन ए कॉलोनी, नई दिल्ली- 110023
मोबाइल- 9868573612, 9810089088, 9810462721
ईमेल- chiragblog@gmail.com

अल्हड़ बीकानेरी

ख़ुद पे हँसने की कोई राह निकालूँ तो हँसूँ
अभी हँसता हूँ ज़रा मूड में आ लूँ तो हँसूँ

जिनकी साँसों में कभी गंध न फूलों की बसी
शोख़ कलियों पे जिन्होंने सदा फब्ती ही कसी
जिनकी पलकों के चमन में कोई तितली न फँसी
जिनके होंठों पे कभी भूले से आई न हँसी
ऐसे मनहूसों को जी भर के हँसा लूँ तो हँसूँ

अल्हड़ बीकानेरी

आप जितना भी चाहें बिगड़ लीजिये
दोष हम पर ज़माने का मढ़ लीजिये
हम हैं पुस्तक खुली हमको पढ़ लीजिये
अपने ऐबों को ढँकने की आदत नहीं
विजेट आपके ब्लॉग पर