मिर्जा असदुल्लाह खाँ गालिब

बाज़ीचा-ए-अतफाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
इमां मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है क़लीसा मेरे आगे
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
ये देख कि क्या रंग है तेरा मेरे आगे

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