इश्क़ में न खौफ़-ओ-खतर चाहिए
जान के देने को जिगर चाहिए
शर्त सलीका है हर इक उम्र में
ऐब भी करने को हुनर चाहिए
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जज़्बात जब शेर-ओ-सुख़न की शक्ल इख्तियार कर लेते हैं तो सभी को अपने-से लगते हैं। ये बज़्म है कुछ ज़हीन शायरों की......
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