उसे दरकार हैं सजदे भी मेरे, मेरा सर भी उड़ाना चाहता है
चिरागों की हिफाज़त करने वाला, हवाएं भी चलाना चाहता है
तेरी बख्शी हुई इस जिंदगी को, कहाँ ले जाऊं आसिफ ये बतादे
तबीयत कुछ बनाना चाहती है, मुक़द्दर कुछ बनाना चाहता है
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