आपसे प्यार हो गया कैसे
ये चमत्कार हो गया कैसे
प्यार को मैं गुनाह कहता था
मैं गुनाहगार हो गया कैसे
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जज़्बात जब शेर-ओ-सुख़न की शक्ल इख्तियार कर लेते हैं तो सभी को अपने-से लगते हैं। ये बज़्म है कुछ ज़हीन शायरों की......
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