जज़्बात जब शेर-ओ-सुख़न की शक्ल इख्तियार कर लेते हैं तो सभी को अपने-से लगते हैं। ये बज़्म है कुछ ज़हीन शायरों की......
Bahut khoob chirag bhai...hum to apke mureed hain ....
वो पत्थर मेरी तरफ से ...... आया था चिराग जी.. माफ़ कर दो भाई ...... शेर क्यों लिख डाला वैसे अच्छा शेर है
aise hi savaal aksar pareshan karte hain. badhaai
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3 comments:
Bahut khoob chirag bhai...
hum to apke mureed hain ....
वो पत्थर मेरी तरफ से ...... आया था चिराग जी..
माफ़ कर दो भाई ...... शेर क्यों लिख डाला
वैसे अच्छा शेर है
aise hi savaal aksar pareshan karte hain. badhaai
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