अज्ञात

मांगत-मांगत मान घटे अरु प्रीत घटे नित के घर जाईं
ओछे की संग तें बुद्धि घटे अरु क्रोध घटे मह के समझाईं

1 comment:

Gajender Solanki said...

चिराग भाई ये लोककवि शिवराम जी ग्राम जावरा जिला मथुरा वालों का सवैया छंद है जो कि आपने आधा दिया हुआ है

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