देख पालकी जिस दुल्हन की बहक गया हर एक बाराती
जिसके द्वार उठेगा घूंघट जाने उस पर क्या बीतेगी
एक बार सपने में छूकर तन-मन-चंदन-वन कर डाला
जो हर रोज़ छुआ जाएगा उस पागल पर क्या बीतेगी
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जज़्बात जब शेर-ओ-सुख़न की शक्ल इख्तियार कर लेते हैं तो सभी को अपने-से लगते हैं। ये बज़्म है कुछ ज़हीन शायरों की......
14 comments:
Bahut hi gajab srangar likha h,aisa to aaj tk maine kahi padha hi nhi tha....
बहुत खूब
dil k andar tak utar gya ye sher
kosis kruga ki me bhi aisa kuch likh saku
श्रीमान, आपकी इस शायरी की तारीफ के लिए शब्द कम पड़ गए हैं।
Very good
Heart attack poem
Very nice sir
second to none
अद्वितीय लेख
अद्भुत सर जी
Bahut hi utkrisht rachna
अद्भुद बहुत सुंदर
बहुत सुन्दर .... लाजवाब...!!
Superb
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