ज़रा सा नाम और तारीफ़ पाकर
हम अपने कद से बढ़कर बोलते हैं
संभल कर गुफ़्तगू करना बुजुर्गों
कि बच्चे अब पलट कर बोलते हैं
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जज़्बात जब शेर-ओ-सुख़न की शक्ल इख्तियार कर लेते हैं तो सभी को अपने-से लगते हैं। ये बज़्म है कुछ ज़हीन शायरों की......
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