बशीर बद्र

घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया एक आदमी न मिला
ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में हमने
बस एक शख्स को चाहा हमें वही न मिला

No comments:

विजेट आपके ब्लॉग पर