अज्ञात

जब से टूटा है चमकता हुआ तारा मेरा
कोई रिश्ता ही नहीं जैसे तुम्हारा-मेरा
तुम नहीं हो तो मज़े रूठ गए हैं मेरे
हो ही जाता है बहरहाल गुज़ारा मेरा
अब तो आवाज़ पे आवाज़ दिए जाता हूँ
काम करता था कभी एक इशारा मेरा

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