सज़ा ये है कि नींदें छीन लीं दोनों की आँखों से
ख़ता ये थी कि इन आँखों ने मिलकर ख़्वाब देखे थे
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जज़्बात जब शेर-ओ-सुख़न की शक्ल इख्तियार कर लेते हैं तो सभी को अपने-से लगते हैं। ये बज़्म है कुछ ज़हीन शायरों की......
1 comment:
Jhakkaaaaaaaas
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